भारत में छात्रों की आत्महत्या
के बढ़ते कदम-: जब असफलता ज़िंदगी का बोझ बन जाती है
"आजकल देखने को मिल रहा है की बच्चो में पढाई को लेकर बहुत दबाब है क्यूंकि सबकी सोच हो गयी है कि अच्छे अंक और बढ़िया परिणाम ही हमे सफल बनायेगे ,जिससे बच्चे बहुत ज्यादा दबाब लेने लगे है और वो समझ नहीं रहे है कि लाइफ में सफलता केवल अच्छे अंक या रैंक नहीं होती है! ये ज़िंदगी है मेरे प्यारे बच्चो इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते है हमे हारना नहीं है बल्कि दुगनी शक्ति से इसका सामना करना है"
आजकल देखने को मिल रहा है कि हज़ारो बच्चे अपनी असफलता और लोगो कि अपेक्षाओं से हारकर आत्महत्या जैसे बड़े कदम उठा रहे है ये हमारे इस समाज के लिए सोचने वाला विषय है ये हमारे इस समाज के लिए
सोचने वाला विषय है इस पर चर्चा करना और विचार करना हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है
कि हम समाज मे एक ऐसा माहौल तैयार करे कि बच्चो कि सोच मे ये परिवर्तन हो कि असफल होने
से ज़िंदगी खत्म नहीं हो जाती!
भारत में छात्रों की आत्महत्या के प्रमुख कारण-:
· परीक्षा मे अच्छे परिणाम और परिवार कि अपेक्षाएं को पूरा करने का दबाब इसका प्रमुख कारण है
· आजकल ये भी देखा जा रहा है कि बच्चो का अकेलापन वो अपनी बाते किसी से शेयर नहीं कर पाते
· कई बार ऐसा भी देखा है है कि स्कूल या कॉलेज मे उनके साथियो या अध्यापको द्वारा उनको ये बोलना कि तुम ये काम कर ही नहीं सकते जिनसे उनके मन मे ये बात बैठ जाती है कि मुझे कुछ नहीं आता मैं बहुत कमज़ोर हूँ
· परिवार मे माता-पिता के बीच रिश्ते अच्छे नहीं होने कि वजह से भी उनमे तनाव बढ़ता जाता है और वो अपने मन कि बात उनसे शेयर नहीं करते है
· आजकल ऑनलाइन दोस्त तो बहुत है लेकिन एक ऐसे दोस्त जिससे वो अपने मन की बात शेयर कर सके न होने कि वजह से बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे है
ऐसे लक्षण जो बच्चो मे दिखे तो माता-पिता को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए-:
· बच्चो का अचानक से कम बाते करने लग जाना
· उदास और ऐसा दिखना कि वो हमेशा कुछ सोच रहा है
· उनमे भूख कम लगाना और नींद न लगना
· उनका अचानक से अकेले रहने लगना किसी से मिलने का मन नहीं करना
· हमेशा बच्चो मे चिड़चिड़ापन रहना,छोटी बातो पे गुस्सा आना
· मैं मर जाऊंगा तो अच्छा होगा सबके लिए ,ऐसा बोलना
· किसी भी काम मे उनका रूचि न लेना
रोकथाम और बचाव-:
· बच्चो से खुलकर माता-पिता को बात करनी चाहिए कि सफलता ही सबकुछ नहीं होती
· बच्चो कि तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए उनको ये महसूस न कराए कि वो किसी से काम है
· अगर बच्चो मे चिड़चिड़ापन और गुस्सा दिखता है तो किसी मनोचिकिस्तक कि मदद ले
· बच्चो को ये समझाये कि किसी परीक्षा का परिणाम उनके ज़िन्दगी से बड़ा नहीं हो सकता
· बच्चो पे किसी चीज़ का ज्यादा दबाव न डालें उनको प्यार से समझाये वो समझ जायेगा
· घर मे प्रेम और सकारात्मक माहौल बनाये जिससे बच्चा अपनी हर छोटी बात भी किसी से शेयर करने मे संकोच नहीं करेगा
· बच्चो को ऑनलाइन गतिबिधियों पे धयान दे कि बच्चा क्या देख रहा है, उनको समझाये कि ऑनलाइन चीज़े सुरक्षित नहीं होती है
एक खूबसूरत सन्देश-:
प्यारे बच्चो ये ज़िन्दगी बार-बार हमें नहीं मिलती इसलिए खुलकर इसका एन्जॉय करो, एक असफलता हमे नहीं हरा सकती आप लोग बहुत बहादुर हो इतनी छोटी से बात से हार मत मानो,असफलता को स्वीकार करो और लग जाओ दुगनी मेंहनत से एक दिन सफलता ज़रूर आपके कदम चूमेगी
ज़िन्दगी मे आगे कुछ न दिखे तो सोचना छोड़ दो क्युकी एक सफलता ये नहीं फैसला कर सकती कि हमारी ज़िन्दगी कितनी होगी बस ज़िंदगी मे खुश रहना सीखो देखो ज़िन्दगी कितनी आसान लगने लगेगी
कभी मन मे कुछ गलत ख्याल आये तो अपने परिवार और माता-पिता की बारे मे सोचो कि आप क़े न रहने से उनका क्या होगा,अगर फिर भी ऐसा ख्याल आये तो माता-पिता से खुलकर बाते करो इसमें मेरा मन नहीं लगता मुझे वो काम करना है वो आपकी भावना को ज़रूर समझेंगे
निष्कर्ष-:
बच्चे एक नाजुक फूल
कि पंखुड़ी कि तरह होते है उनको जितने प्यार
से सिचोगे वो उतना कि एक अच्छा खूबसूरत फूल बनकर तैयार होंगे! उनके मन मे ऐसा कभी ख्याल
कि न आने दो कि वो अकेले है घर का ऐसा माहौल बना के रखो कि वो अपनी छोटी से छोटी बात
कहने मे किसी से भी संकोच न करे!
आत्महत्या किसी भी असफलता का समाधान नहीं होता है उनको ऐसा कभी भी महसूस
न होने दे कि कि दूसरा कोई विकल्प नहीं है
उनकी ज़िंदगी है ,उनको जीने का मौका दे उनपर कभी भी अपने सपने न थोपे कि तुमको ये बनना
है, उनको एक खूबसूरत फूल बनने कि शिक्षा दे!