विश्व बेघर दिवस
विश्व बेघर दिवस की शुरुआत 10 अक्टूबर 2010 को हुई थी इसका उद्देश्य बेघरी और अपर्याप्त आवास जैसी समस्याओं पर जागरूकता लाना और बेघर लोगों की मदद के लिए समाज को प्रेरित करना है
वैश्विक उद्देश्य
- विश्व बेघर दिवस का मुख्य उद्देश्य बेघरों और अपर्याप्त आवास के मुद्दों पर वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित करना है
- इस दिन का नारा है: “स्थानीय लोग वैश्विक दिवस पर स्थानीय स्तर पर कार्य करें”। इसका मतलब है कि समुदायों को अपने आसपास के बेघर लोगों की जरूरतों को समझकर उन्हें मदद देने के नए अवसर खोजने चाहिए
- जागरूकता बढ़ाना, सरकारों और संगठनों को बेघर लोगों के अधिकारों, स्वास्थ्य, और आवास के मुद्दों पर सक्रिय हस्तक्षेप हेतु प्रेरित करना भी इसका उद्देश्य है
- यह दिवस उन कारणों की ओर भी ध्यान दिलाता है जिनकी वजह से लोग बेघर होते हैं – जैसे किफायती आवास की कमी, बेरोजगारी, गरीबी, कम वेतन, मानसिक बीमारी, मादक पदार्थों की लत, घरेलू हिंसा आदि
- वैश्विक एकजुटता और सहयोग को बढ़ावा दिए बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है
भारत और दुनिया में बेघर लोगों की वर्तमान स्थिति
भारत और दुनिया में बेघर लोगों की स्थिति चिंताजनक है, और हाल के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 318 से 330 मिलियन (31.8 से 33 करोड़) लोग बेघर हैं, यानी यह संख्या 2% से भी ज्यादा वैश्विक आबादी का प्रतिनिधित्व करती है
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 1.77 मिलियन (17.7 लाख) लोग बेघर थे, लेकिन नागरिक संगठनों और विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या हकीकत में कहीं अधिक है, और बहुत से शहरी क्षेत्रों में अस्थायी और खुद-ब-खुद बनाए गए शरण स्थलों में रहने वालों को नहीं गिना जाता। भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई में अकेले लाखों लोग सड़कों, फुटपाथों या अस्थायी शरण स्थलों में रहते हैं
वैश्विक बेघरता के प्रमुख तथ्य
- वैश्विक स्तर पर 318-330 मिलियन लोग पूरी तरह बेघर हैं (2025 अनुमान)
- लगभग 1.6 से 2 अरब लोग ऐसे हैं जिन्हें उचित आवास की उपलब्धता नहीं है (शरण स्थलों की कमी, असुरक्षित घर आदि)
- 2023 की तुलना में 2024 और 2025 में बेघर लोगों की संख्या में लगभग 18% की वृद्धि हुई है, जिससे बेघरता एक बढ़ता हुआ सामाजिक व आर्थिक संकट बन गई है।
- बेघर लोगों की संख्या देशों के हिसाब से अलग है: जैसे पाकिस्तान में 80 लाख, सीरिया में 53 लाख, बांग्लादेश में 50 लाख, नाइजीरिया में 45 लाख, भारत में न्यूनतम 17 लाख से कई गुना अधिक
- वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2025 के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, चरम मौसम की घटनाएं और भू-राजनीतिक तनाव भी बेघरता को प्रभावित करने वाले बड़े जोखिम हैं।
- संयुक्त राष्ट्र की विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2025 में बताया गया है कि लगभग 690 मिलियन लोग चरम गरीबी में जी रहे हैं, जो बेघरता की समस्या से जुड़ी है।
भारत में बेघरता के आंकड़े और स्थिति
- भारत में बेघर लोगों में से अधिकांश पुरुष हैं, और उनमें से अधिकांश की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच है। बेघर होना एक ऐसी समस्या है जो विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में प्रचलित है, अनुमानतः 85% बेघर लोग शहरों में रहते हैं।
- भारत में ज़्यादातर बेघर लोग सड़कों पर, अस्थायी आश्रयों में या झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। बेघर लोगों का एक छोटा सा हिस्सा सरकारी आश्रयों में रहता है, जो अक्सर भीड़भाड़ वाले होते हैं और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं।
- दिल्ली में अकेले लगभग 3 लाख से अधिक लोग बेघर हैं, जो सड़कों, फूटपाथ, रेलवे प्लेटफार्म, और अन्य अस्थायी आश्रयों में रहते हैं
- अन्य महानगर जैसे मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु में भी हजारों-लाखों की संख्या में लोग बेघर हैं
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण 2025 के पहले छह महीनों में भारत के विभिन्न हिस्सों में 1.6 लाख से अधिक लोग बेघर हुए हैं, जो कि बढ़ती आपदा प्रवृत्ति का संकेत है
- सरकारी राहत एवं आश्रय योजनाओं का लाभ केवल एक सीमित संख्या में बेघर लोग ही उठा पाते हैं क्योंकि कई जगहों पर इन्हें पहचान या दस्तावेज़ की मांग होती है, जिससे वे वंचित रह जाते है
भारत में बेघर होने के कारण
गरीबी-:
भारत में बेघर होने का प्रमुख कारण गरीबी है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लगभग 32% परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं। इसका मतलब है कि वे भोजन , वस्त्र, आवास और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकते। इनमें से कई परिवार झुग्गी-झोपड़ियों या सड़कों पर रहते हैं क्योंकि वे किराया नहीं दे सकते या उनके पास सुरक्षित ज़मीन नहीं है।
रोजगार की कमी और बेरोजगारी-:
रोजगार न मिलना या अनियमित रोजगार, खासकर ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर रोजगार के लिए प्रवास करते समय अस्थायी जीवनशैली अपनाना बेघरता का मुख्य कारण बनता है एनएसएसओ की रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग 5% घरों का मुखिया कोई न कोई बेरोज़गार है। इससे परिवारों के लिए गुज़ारा करना और भोजन व आश्रय जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।
प्राकृतिक आपदाएं-:
प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापन भी भारत में बेघर होने का एक कारण है। बाढ़, सूखे और अन्य आपदाओं के कारण हर साल हज़ारों लोग विस्थापित होते हैं। इससे वे बेघर हो सकते हैं या उन्हें केवल अस्थायी आश्रय ही मिल सकता है। कुछ मामलों में, वैकल्पिक आवास न मिलने पर परिवारों को सड़कों पर रहने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है।
सामाजिक कारण-:
पारिवारिक टूट-फूट, घरेलू हिंसा, बुजुर्गों का परित्याग, मानसिक रोग, अविवाहित गर्भवती महिलाएं, तलाकशुदा महिलाएं और अनाथ बच्चे भी बेघर होने के कारणों में शामिल हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और नशे की समस्या-:
मानसिक रोग और नशे की लत से प्रभावित लोग भी बेघर हो जाते हैं, क्योंकि इन्हें परिवार या समाज से समर्थन नहीं मिलता।
शहरीकरण और प्रवासन-:
ग्रामीण से शहरी इलाकों की ओर लगातार प्रवास के कारण बड़े शहरों में बेघर लोगों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि वहां रोजगार सीमित और आवास महंगा होता है
सरकार और गैरसरकारी संगठनों द्वारा बेघर लोगों के लिए किए जा रहे प्रयास
भारत में बेघर लोगों के लिए सरकार और गैरसरकारी संगठनों द्वारा कई महत्वपूर्ण प्रयास और योजनाएँ चल रही हैं। इनमें रैन बसेरों (Rain Basera) या वन टाइम शेल्टर जैसे अस्थायी आश्रय, आवास योजनाएँ, और पुनर्वास की पहल शामिल हैं।
सरकारी प्रयास www.sikhnazarurihai.com
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)-: यह योजना शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गरीब और बेघर लोगों को सशक्त और पक्का आवास उपलब्ध कराने के लिए चलाई जा रही है। इसमें आर्थिक सहायता के साथ आवास बनाने की सुविधा दी जाती है
- रैन बसेरा योजना-: यह योजना खासकर शहरी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और प्रवासियों के लिए मानसून और सर्दियों के मौसम में अस्थायी रहने की जगह उपलब्ध कराती है। दिल्ली, मध्य प्रदेश, और अन्य राज्यों में इस योजना के तहत बेघर लोगों को साफ पानी, बिस्तर, प्राथमिक चिकित्सा, और अन्य सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती हैं
- शेल्टर्स फॉर अर्बन होमलेस (SUH)-: यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत आती है, जो शहरी बेघर लोगों के लिए स्थायी आश्रय प्रदान करती है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और कौशल प्रशिक्षण से जोड़ती है
गैरसरकारी संगठनों के प्रयास
- कई NGOs जैसे "Asha Bhawan Trust" जो भारत के विभिन्न राज्यों में बेघर और सामाजिक रूप से बाहर निकल चुके लोगों को आश्रय, पुनर्वास, और पुनर्स्थापन की सुविधा देते हैं। ये संगठन नशे से मुक्ति, शिक्षा, और रोजगार प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं
- अन्य NGOs और सामाजिक सामुदायिक समूह भी सड़क पर रहने वाले बच्चों, महिलाओं, और मानसिक रुप से कमजोर लोगों के लिए पुनर्वास केंद्र और सहायता कार्यक्रम संचालित करते हैं
- इसके अतिरिक्त विभिन्न स्थानों पर सर्दियों और मानसूनी बचाव अभियान चलाकर बेघर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है
निष्कर्ष-:
विश्व बेघर दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में बेघर लोगों की समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके लिए समाधान खोजने को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सुरक्षित और स्थायी आवास हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, लेकिन लगभग 15 करोड़ लोग आज भी बिना छत के जी रहे हैं। बेघर होना केवल आवास की कमी नहीं है, बल्कि इससे जुड़े स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा जैसे अनेक सामाजिक और आर्थिक मुद्दे हैं जिन्हें संबोधित करना जरूरी है। यह दिवस बेघर लोगों की मदद के लिए सामुदायिक और वैश्विक स्तर पर कार्य करने की प्रेरणा देता है और समाज में उनके प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है।
अतः विश्व बेघर दिवस हमें यह सिखाता है कि बेघरता को कम करने के लिए प्रत्येक स्तर पर सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं, और हर किसी का दायित्व है कि वे इस समस्या के प्रति संवेदनशील बने और जरूरतमंदों की सहायता करें