सोमवार, 8 सितंबर 2025

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस

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अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत यूनेस्को ने 1966 में की थी, इसका उद्देश्य दुनिया भर में साक्षरता के महत्व को उजागर करना और अधिक से अधिक लोगों को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करना है, क्योंकि साक्षरता एक मौलिक मानव अधिकार है और यह समाज के सतत विकास की नींव मानी जाती है। यह दिन शिक्षा के माध्यम से व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का संदेश देता है

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास:-

  • 1965 में तेहरान में शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में निरक्षरता उन्मूलन की चर्चा हुई।
  • 1966 में यूनेस्को ने 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में आधिकारिक रूप से घोषित किया।
  • पहली बार यह दिन 8 सितंबर 1967 को पूरे विश्व में मनाया गया 
महत्व और उद्देश्य:-
  • साक्षरता को एक मौलिक मानवाधिकार और सम्मान के रूप में स्थापित करना।
  • लोगों को पढ़ने-लिखने के कौशल से लैस करना ताकि वे आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बन सकें।
  • सामाजिक विकास, लैंगिक समानता, और शांति को बढ़ावा देना।
  • आज के डिजिटल युग में डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ावा देना, ताकि सभी लोग नई तकनीकों का सही उपयोग कर सकें।
  • वैश्विक स्तर पर साक्षरता दर बढ़ाने और शिक्षा के अवसर सभी तक पहुंचाने के लिए जागरूकता फैलाना
साक्षरता का अर्थ और इसके प्रकार:-

साक्षरता का अर्थ है पढ़ने, लिखने और समझ के साथ गणना करने की योग्यता। यह केवल अक्षर ज्ञान ही नहीं, बल्कि डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता आदि जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशलों को भी शामिल करता है। सरल शब्दों में, साक्षर व्यक्ति वह होता है जो किसी भाषा को पढ़ और लिख सकता है तथा समझ सकता है।

साक्षरता के प्रमुख प्रकार हैं:-
  • पठनीय और लिखनीय साक्षरता - पढ़ने और लिखने की मूल क्षमता।
  • संख्यात्मक साक्षरता - गणितीय या संख्याओं को समझने और प्रयोग करने की क्षमता।
  • डिजिटल साक्षरता - कंप्यूटर, इंटरनेट और अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने की योग्यता।
  • वित्तीय साक्षरता - आर्थिक और वित्तीय विषयों को समझने और प्रबंधित करने की क्षमता।
  • स्वास्थ्य साक्षरता - स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को समझने और सही निर्णय लेने की योग्यता।
  • मीडिया साक्षरता - मीडिया संदेशों को समझने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता।
  • सांस्कृतिक साक्षरता - विभिन्न सांस्कृतिक अवधारणाओं और संदर्भों को समझने की योग्यता।
  • भावनात्मक/शारीरिक साक्षरता - अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझने और व्यक्त करने की क्षमता।
वर्ष 2025 की थीम: "डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना":-

 "डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना"। यह थीम अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की है, इस वर्ष की थीम डिजिटल युग में लोगों को आवश्यक डिजिटल कौशलों से लैस करने, डिजिटल विभाजन को कम करने और सभी के लिए डिजिटल शिक्षा और साक्षरता को सुलभ बनाने पर ज़ोर देती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तकनीकी प्रगति के साथ सभी व्यक्तियों को डिजिटल दुनिया का हिस्सा बनने और उसमें सक्रिय रूप से भाग लेने का अधिकार मिले। साथ ही यह थीम समावेशन, आजीवन शिक्षा, और डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है ताकि समाज अधिक न्यायसंगत और समान बने।

विश्व और भारत में साक्षरता की स्थिति:-

विश्व में साक्षरता की स्थिति (2025)
  • वैश्विक औसत साक्षरता दर लगभग 86.8% है।
  • कुछ देशों जैसे अंडोरा, फिनलैंड, नॉर्वे में साक्षरता दर 100% है।
  • विश्व में लगभग 739 मिलियन युवा और वयस्क अभी भी बुनियादी साक्षरता से वंचित हैं।
  • विश्व में कई विकसित देश शिक्षा में दशकों के निवेश के कारण उच्च साक्षरता दर प्राप्त कर चुके हैं।
भारत में साक्षरता की स्थिति (2025)
  • भारत की कुल साक्षरता दर लगभग 80.9% है।
  • पुरुष साक्षरता दर लगभग 87.2% जबकि महिला साक्षरता दर लगभग 74.6% है, जिसमें लैंगिक अंतर मौजूद है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर लगभग 77.5% है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 88.9% तक है।
  • भारत के कुछ राज्य जैसे मिजोरम (98.2%), लक्षद्वीप (97.3%) और केरल (95.3%) में साक्षरता दर बहुत उच्च है, जबकि बिहार (74.3%), मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में साक्षरता दर कम है।
  • भारत की साक्षरता दर विश्व औसत से थोड़ी कम है, लेकिन पिछले दशकों में इसमें निरंतर सुधार हुआ है।
प्रमुख चुनौतियाँ और अंतर:-
  • भारत में अभी भी लैंगिक साक्षरता अंतर और ग्रामीण-शहरी साक्षरता में भेद्यता है।
  • कई गरीब देशों और भारत के कुछ राज्यों में निरक्षरता की समस्या बनी हुई है।
  • विश्व स्तर पर भी निरक्षर व्यक्तियों का बड़ा अनुपात अभी भी शिक्षा की मुख्य चुनौतियों में से एक है।
साक्षरता में सुधार के लिए सामुदायिक और व्यक्तिगत कदम:-
सामुदायिक स्तर के कदम
  • समुदाय में स्वयंसेवा करके ट्यूटर या मार्गदर्शक बनें, जिससे अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों को शिक्षा में मदद मिल सके।
  • साक्षरता योजनाओं के लिए दान करें या इनके वित्तपोषण में सहायता प्रदान करें।
  • स्थानीय संगठनों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर साक्षरता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करें।
  • समुदाय में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाएं और साक्षरता को सामाजिक विकास से जोड़ें।
  • डिजिटल साक्षरता के लिए ग्रामीण इलाकों में प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराएं।
  • विभिन्न शिक्षा कार्यक्रमों को लागू करके और साझेदारी बढ़ाकर समाज में समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करें।
  • स्वास्थ्य साक्षरता को भी बढ़ावा देकर जनता के स्वास्थ्य ज्ञान और स्वास्थ्य संबंधी निर्णय क्षमता में सुधार करें।
व्यक्तिगत स्तर के कदम:-
  • स्वयं साक्षरता शिक्षा प्राप्त करें और निरंतर अपनी जानकारी को बढ़ाते रहें।
  • बच्चों और परिवार के सदस्यों के पढ़ने-लिखने में सहायता करें, उनसे संवाद और पढ़ाई को बढ़ावा दें।
  • उपलब्ध शैक्षिक ऐप्स और डिजिटल टूल्स का उपयोग करके सीखने के अवसर बढ़ाएं।
  • स्वस्थ संचार के लिए सरल भाषा और स्पष्ट संदेश का प्रयोग करें।
  • बच्चों और स्वयं के लिए नियमित पढ़ाई और अभ्यास की आदत डालें।
  • स्वयं शिक्षा के लिए स्थानीय पुस्तकालयों और सामुदायिक शिक्षण केंद्रों का लाभ उठाएं।
यूनेस्को और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रयास:-

यूनेस्को और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। यूनेस्को ने 1946 से साक्षरता के लिए काम करना शुरू किया है, जो इसे शिक्षा के अधिकार के रूप में देखता है और इसका मानना है कि साक्षरता से व्यक्ति सशक्त बनता है। यूनेस्को का साक्षरता कार्यक्रम समुदायों में जीवन भर की सीख और डिजिटल साक्षरता को भी शामिल करता है, खासकर महिलाओं और युवाओं के लिए। इसके अलावा, यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता पुरस्कार देता है जो उत्कृष्ट और नवीन कार्यक्रमों को पहचानता है और प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, ग्लोबल अलायंस फॉर लिटरेसी जैसे गठबंधन 31 देशों को साथ लेते हुए युवाओं और वयस्कों की साक्षरता सुधारने के लिए काम करते हैं।
यूनेस्को के प्रमुख साक्षरता प्रयास:-
  • साक्षरता को शिक्षा का मूल अधिकार मानना और इसके लिए रणनीतियाँ विकसित करना।
  • स्कूल बंदी जैसे संकटों के दौरान भी साक्षरता का संरक्षण।
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना ताकि लोग तकनीकी युग में सूचनाओं के साथ बेहतर जुड़ सकें।
  • महिलाओं और लड़कियों के साक्षरता स्तर को सुधारने के लिए विशेष पहल, जैसे लिटरेसी इनिशिएटिव फॉर एम्पॉवरमेंट 
  • हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाना और श्रेष्ठ साक्षरता कार्यक्रमों के लिए पुरस्कार प्रदान करना।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रयास:-

अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे गेट्स फाउंडेशन भी विशेष शिक्षा अभियानों और तकनीकी मदद से साक्षरता बढ़ाने में सक्रिय हैं। ये प्रयास शिक्षा को समावेशी, गुणवत्तापूर्ण और जीवन पर्यंत सीखने के अवसर प्रदान करने की दिशा में हैं 
  • गेट्स फाउंडेशन जैसे गैर-सरकारी संगठन अफ्रीका, भारत आदि क्षेत्रों में पढ़ाई-लिखाई बढ़ाने पर काम करते हैं।
  • ग्लोबल कोएलिशन फॉर फाउंडेशनल लर्निंग जैसे गठबंधन बच्चों की पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए कई संसाधनों और कार्यक्रमों में सहयोग करते हैं।
  • वैश्विक और स्थानीय स्तर पर साक्षरता बढ़ाने के लिए नीति निर्माण, धन जुटाना, जागरूकता फैलाना और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
महिला साक्षरता और लैंगिक समानता:-

महिला साक्षरता और लैंगिक समानता के बीच गहरा संबंध है। भारत में महिला साक्षरता दर पिछले कुछ दशकों में सुधार हुई है, लेकिन पुरुषों की तुलना में अभी भी कम है। इस असमानता का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारण है, जैसे कि पारंपरिक सोच, शिक्षा के प्रति परिवारिक दृष्टिकोण, जल्दी विवाह, और शिक्षा के संसाधनों की कमी।

महिला साक्षरता की स्थिति:-
  • भारत में महिला साक्षरता दर में सुधार हो रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े वर्गों में यह दर अभी भी कम है।
  • केरल, लक्षद्वीप और मिजोरम जैसे राज्यों में महिला साक्षरता दर उच्च है, जबकि बिहार और राजस्थान में कम है।
  • महिला साक्षरता का बढ़ना सामाजिक विकास, स्वास्थ्य सुधार, कम जन्म दर और बच्चों की शिक्षा में वृद्धि से जुड़ा है।
लैंगिक समानता का महत्व:-
  • लैंगिक समानता वास्तविक महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर लैंगिक समानता से हिंसा में कमी, बेहतर सामाजिक समावेश और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन संभव होता है।
  • आर्थिक स्तर पर, महिलाओं की समान भागीदारी से विकास, नवाचार और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • राजनीतिक स्तर पर, महिला नेतृत्व से नीतियां अधिक समावेशी और प्रभावी बनती हैं।
महिला साक्षरता और लैंगिक समानता के लिए उपाय:-
  • शिक्षा के लिए समान अवसर प्रदान करना, विशेषकर लड़कियों के लिए।
  • 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' और 'समग्र शिक्षा योजना' जैसी सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन।
  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाना।
  • आर्थिक व सामाजिक बाधाओं को कम करना और परिवारों में शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ाना
निष्कर्ष:-
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से व्यक्ति और समाज के समग्र विकास का पर्व है। 2025 की थीम डिजिटल युग में नयी चुनौतियों और अवसरों के बीच इस महत्व को और भी बढ़ा देती है। यह दिन शिक्षा के माध्यम से समानता, शांति और सतत विकास के लिए आवश्यक कौशलों को बढ़ावा देने का संदेश देता है।

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